
श्री राम आहुति - नित्य विजय राजपुरोहित
धाराप्रवाह उत्साह लिए,
लोचन से अश्रु की धार बहे,
मन मुदित, मुख में मुस्कानें हैं,
लो राम भक्त हर्षाते है।
शत कोटि सनातन धर्म प्रेमी,
बिसरा के जाति, व वर्ण, श्रेणी,
निज प्रभु का वर्णन गाते हैं,
लो राम भक्त हर्षाते है।
है राम सत्य, है राम रुधिर,
हैं राम कोटिशः हिन्दू वीर,
जो राम काज की अभिलाषा में,
निज प्राण को अस्त्र बनाते हैं,
लो राम भक्त हर्षाते हैं।
राम नाम को धारण करके,
अर्जुन सम कपिध्वज लहराके,
धर्म जिनका है क्षात्र के संगत,
धीर वीर नर नारी यहाँ के,
ह्रदय विदारक जयघोषों से,
राम ज्वाल सुलगाते हैं,
लो राम भक्त हर्षाते हैं।
जब सोमनाथ से परम तेजस्वी,
रथ रुपी श्री राम चले,
शत सहस्र वो भक्त प्रभु के,
सह चरमोत्कर्ष उल्लास चले,
आयुध रूपी उत्साह से उनके,
मुगलवंशी घबराते हैं,
लो राम भक्त हर्षाते हैं।
प्रभु राम की जन्मस्थली से,
कुछ तो कम यह भार हुआ,
अगणित बलिदानों की गाथाओं,
का लक्ष्य साकार हुआ,
सरयू माता के कलनिनाद भी,
राम नाम गुण गाते हैं,
लो राम भक्त हर्षाते हैं।
About Nitya Vijay Rajpurohit:
To the mountains of Bhadrakashi, the land of Bhagwan Vasuki Naaga, He and his soul belongs! Lingo junkie, working on Tamil, Sanskritam and Spanish right now besides medicine! Rajma Chawal freak, vegetarian and Dharmik, never misses his Sandhyavandana come what may!