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Home Magazine

नौ दिन कैसे करें कन्या-पूजन

Tirtha by Tirtha
October 15, 2021
in Magazine, Non Fiction
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The Indian Rover (Issue: October, 2021)

नौ दिन कैसे करें कन्या-पूजन - शिव प्रसाद त्रिपाठी

नवरात्रि –बालिकाओं को प्रसन्न करने का पर्व। नवरात्रि यानी सौन्दर्य के मुखरित होने का पर्व। नवरात्रि यानी उमंग से खिल-खिल जाने का पर्व।

नौ दिनों तक दैवीय शक्ति मनुष्य लोक के भ्रमण के लिए आती है। इन दिनों की गई उपासना-आराधना से देवी भक्तों पर प्रसन्न होती है। लेकिन पुराणों में वर्णित है कि मात्र श्लोक-मंत्र-उपवास और हवन से देवी को प्रसन्न नहीं किया जा सकता।

इन दिनों २ से लेकर ५ वर्ष तक की नन्ही कन्याओं के पूजन का विशेष महत्व है। नौ दिनों तक इन नन्ही कन्याओं को सुंदर उपहार देकर इनका दिल जीता जा सकता है। इनके माध्यम से नवदुर्गा को भी प्रसन्न किया जा सकता है। पुराणों की दृष्टि से नौ दिनों तक कन्याओं को एक विशेष प्रकार की भेंट देना शुभ होता है।

प्रथम दिन  – “फूल” की भेंट देना शुभ होता है। साथ में कोई एक श्रृंगार सामग्री अवश्य दें। अगर आप माँ “सरस्वती” को प्रसन्न करना चाहते है तो “श्वेत फूल” अर्पित करें। अगर आपके दिल में कोई “भौतिक कामना” है तो “लाल पुष्प”देकर इन्हें खुश करें। (उदाहरण के लिए : गुलाब, चंपा, मोगरा,गेंदा, गुड़हल)

दूसरे दिन –  “फल” देकर इनका पूजन करें। यह फल भी सांसारिक कामना के लिए लाल अथवा पीला और वैराग्य की प्राप्ति के लिए केला या श्रीफल हो सकता है। याद रखें कि फल खट्टे ना हो।

तीसरे दिन-“’मिठाई” का महत्व होता है। इस दिन अगर हाथ की बनी खीर, हलवा या केशरिया चावल बना कर खिलाए जाएँ तो देवी प्रसन्न होती है।

चौथे दिन- “वस्त्र” देने का महत्व है लेकिन सामर्थ्य अनुसार रूमाल या रंग बिरंगे फीते दिए जा सकते हैं।

पाँचवे दिन – देवी से सौभाग्य और संतान प्राप्ति की मनोकामना की जाती है। अत: कन्याओं को पाँच प्रकार की श्रृंगार सामग्री देना अत्यंत शुभ होता है। इनमें बिंदिया, चूड़ी, मेहँदी, बालों के लिए कांटे सुगंधित साबुन, काजल, नाखूनी,  पावडर इत्यादि हो सकते हैं।

छठे दिन-  “खेल-सामग्री देना चाहिए”। आजकल बाजार में खेल सामग्री की अनेक प्रकार उपलब्ध है। पहले यह रिवाज पाँचे, रस्सी और छोटे-मोटे खिलौनों तक सीमित था। अब तो ढेर सारे विकल्प मौजूद है।

सातवें दिन- “माँ सरस्वती” के आह्वान का होता है। अत: इस दिन कन्याओं को “शिक्षण सामग्री” दी जानी चाहिए। आजकल बाजार में विभिन्न प्रकार के पेन, पेंसिल, कॉपी, ड्रॉईंग बुक्स, कंपास, वाटर बॉटल, लंच बॉक्स उपलब्ध है।

आठवें दिन- नवरात्रि का सबसे पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन अगर कन्या का अपने हाथों से श्रृंगार किया जाए तो देवी विशेष आशीर्वाद देती है। इस दिन कन्या के  पैर दूध से पूजने चाहिए। पैरों पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए। इस दिन कन्या को भोजन कराना चाहिए और यथासामर्थ्य कोई भी भेंट देनी चाहिए। हर दिन कन्या-पूजन में दक्षिणा अवश्य दें।

नौवें यानी नवदुर्गा के अंतिम दिन  – खीर,ग्वारफली की सब्जी और दूध में गूँथी पूरियाँ कन्या को खिलानी चाहिए। उसके पैरों में महावर और हाथों में मेहँदी लगाने से देवी पूजा संपूर्ण होती है। अगर आपने घर पर हवन का आयोजन किया है तो उनके नन्हे हाथों से उसमें समिधा अवश्य डलवाएँ। उसे इलायची और पान का सेवन कराएँ।इस परम्परा के पीछे मान्यता है कि देवी जब  अपने लोक जाती है तो उसे घर की कन्या की तरह ही बिदा किया जाना चाहिए।

अगर सामर्थ्य हो तो नौवें दिन लाल चुनर कन्याओं को भेंट में दें। उन्हें दुर्गा चालीसा की छोटी पुस्तकें भेंट करें। गरबा के डाँडिए और चनिया-चोली भी दिए जा सकते हैं। बालिकाओं से घर में गरबे करवाने से भी देवी प्रसन्न होती है। इन सारी रीतियों के अनुसार पूजन करने से देवी प्रसन्न होकर वर्ष भर के लिए सुख, समृद्धि, यश, वैभव, कीर्ति और सौभाग्य का वरदान देती है।

नवरात्र में किस आयु की कन्या के पूजन से मिलता है कैसा फल—— पूजन के लिए सबसे पहले 9 कन्याओं पर मां का पवित्र जल छिड़कें और उनका पूजन कर भोजन कराएं। भोजन के बाद चरण स्पर्श कर उन्हें यथाशक्ति दक्षिणा दें।

प्रथम दिवस—– दो वर्ष की कन्या के पूजन से दुखों का नाश होता है।

द्वितीय दिवस— तीन वर्ष की कन्या साक्षात त्रिमूर्ति का स्वरूप है। इससे अन्न-धन में बढ़ोतरी होती है।

तृतीय दिवस—  चार वर्ष की कन्या का पूजन करने से परिवार का कल्याण होता है, जीवन में शुभ समाचार मिलते हैं।

चतुर्थ दिवस—-  पांच वर्ष की कन्या के पूजन से रोगों से मुक्ति मिलती है।

पंचम दिवस—  छह वर्ष की कन्या का पूजन साक्षात मां काली का पूजन है। इससे विद्या और यश की प्राप्ति होती है।

षष्ठम दिवस—- सात वर्ष की कन्या मां चंडिका का रूप है। इससे बाधाओं का निवारण होता है।

सप्तम दिवस—- आठ वर्ष की कन्या का पूजन संकट से रक्षा करता है।

अष्टम दिवस—- नौ वर्ष की कन्या के पूजन से असंभव प्रतीत होने वाले कार्य भी सफल हो जाते हैं।

नवम दिवस—- दस वर्ष की कन्या का पूजन जीवन को पूर्णता की ओर ले जाता है। इससे मां अपने भक्त के समस्त मनोरथ पूर्ण करती है

Tags: The Indian Rover
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